Dr. Neelam

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कान्हा तेरी प्रीत

*कान्हा तेरी प्रीत*

न मैं राधा, न मैं मीरा
फिर भी मैं बन तेरी
बावरिया,
गली-गली तुझको
ढूंढ रही हूँ,
तुझ बिन इकपल
चैन नहीं सँवरिया।

तू क्या जाने 
इंतजार की पीर,
विरह-ज्वाल में
कैसे तड़पता
शरीर,
तुझ बिन ऐसे
तड़प रही हूँ,
जैसे जल बिन
तड़पे मीन,
अब तो दरस दिखा जा
सँवरिया
तुझ बिन कल नहीं  सजनवा।

प्रीत का दंश 
लगा हृदय पर 
खार हो रहा
यौवन मेरा
बरस-बरस अँखियाँ
हुईं सूनी,
द्वार खड़ी पलकन
के बिन उंघी*
दरस दिखा दो
अब तो मन मोहना,
तड़प रही तुझ बिन
तेरी बावरिया।

न मैं राधा.........

      डा.नीलम

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4 Comments

Gunjan Kamal

09-Sep-2023 03:26 PM

👏👌

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Abhinav ji

08-Sep-2023 09:48 AM

Nice

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Varsha_Upadhyay

07-Sep-2023 07:29 PM

Nice 👍🏼

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